October 12, 2024

बात-बात पर रूठना-परिवार का माहौल खराब करना

प्यार से चलाएं अपना घर

मेरे बचपन की एक सहेली की शादी पास के ही शहर में एक अच्छे परिवार में हुई थी। शादी के बाद कुछ समय तक उसका मेरा पत्र व्यवहार चलता रहा। यहां तक कि वह पल-पल की खबर पत्र के माध्यम से मुझे देती । लेकिन अब उसने मेरे पत्रो का जवाब देना भी बंद कर दिया था । मैं समझ नही पा रही थी कि उसने ऐसा क्यों किया बाद में पता चला कि इसका कारण पारिवारिक कलेश है। दोनो पति पत्नि आपसी मन मुटाव के चलते अक्सर छोटी-छोटी बातों पर झगझते रहते है। इस कारण दोनों मानसिक रूप से अच्छे-बुरे में अंतर करने की स्थिति में नहीं है। इतना ही नहीं बात तलाक तक पहुंच चुकी है। उनकी पारिवारिक परिस्थितियों एवं दोनों के व्यवहार से मैं इस निष्कर्ष पर पहुंची वास्तव में इसके लिए कोई एक नहीं अपितु दोनों पति-पत्नी ही दोषी हैं। इस प्रकार की घटनाएं आज समाज में अधिकांश परिवारों में देखने को मिल रही हैं। पति का देर से घर पहुंचना, पत्नी का छोटी-छोटी बातों को लेकर पूरे घर को सिर पर उठा लेना, इस तरह का व्यवहार एक सुखी गृहस्थ जीवन को नरक बना रहा। यह सभी जानते है कि पति-पत्नी का संबंध बहुत नाजुक होता है, यथावत बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि दोनों एक दुसरे पर विश्वास करे और एक दुसरे पर बेवजह शक ना करे लेकिन इसके बावजुद भी दोनों की शक की सुई एक दुसरे की ओर मुड़ती रहती है पत्नी को अपने पति से शिकायत है कि वह देर से घर आते है । उसे लगता है कि इसका कारण उनकी जिन्दगी में किसी दुसरी लड़की का आना और बिना सोचे विचारे पति पर बरस पड़ती है जबकि पति का सोचना होता है कि जब वह घर जाएगा तो उसकी पत्नी प्यार से उसकी तीमारदारी करेगी किन्तु पत्नियां तुरंत ही ऐसा माहौल बना देती है कि पति कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं होता नतिजन पति, पत्नी से दूर होने लगता है। देखने में यह भी आता है कि अधिकांश औरतें सोचती है कि उनके पति उनके अलावा किसी भी अन्य लड़की से बात न करें और हर समय वह उनकी चौकसी में लगी रहती हैं। इस प्रकार के अवरोध खड़े करके पत्नियां सोचती है कि उनका पति ऐसा करने से कही नहीं जा सकता, परन्तु उनका सोचना गलत है। ऐसा करने से वह स्वयं ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने का काम करती
पति-पत्नि के पवित्र संबंध को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि पत्नियां पति की पसंद नापसंद का ध्यान रखते हुए उन्हें मानसिक रूप से भी स्वस्थ रखने की कोशिश करें, न कि पति के पास आने पर इधर-उधर की शिकायतो का पुलिंदा लेकर प्यार में खलल डालें। बात-बात में रूठ जाना भी परिवार का माहौल को खराब कर देता है ।
स्त्रियों को अपने विवेक से काम करना चाहिए न कि छोटी-छोटी बातों को मुद्दा बनाकर पति से शिकायत करने या अपने मन में परिवार के किसी सदस्य के प्रति एक गलत सोच बना लें। पत्नी को चाहिए कि यदि कोई बाहर वाला उनके परिवार के किसी भी सदस्य के बारे में कोई कुछ गलत कहता है तो वह वही पर उसका विरोध करे। यदि ऐसा पत्नी को घर की लक्ष्मी भी कहा जाता है इसलिए होगा तो कलह की कोई गुंजाइश ही नहीं रहेगी । उसे चाहिए कि वह इस कसौटि पर खरी उतरे। यदि
पत्नि को अपने प्रेम पर पूरा भरोसा है तो उसका पति चाहे जहां भी जिस भी माहौल में रहें, हमेशा उसी का रहेगा क्योंकि गृहस्थ जीवन को सूखी बनानें के लिए पत्नि की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जहां तक पुरूषों का सवाल है वह भी कम नहीं होते । अक्सर देखा गया है कि कुछ पति ऐसे भी हाते है कि घर में चाहे उनकी कितनी भी सुन्दर, गुणवान, सच्चरित्र पत्नि हो लेकिन फिर भी दूसरी औरतों या लड़कियों से दिल्लगी करने से बाज नहीं आते। उनकी इसी दिल्लगी के चलते स्त्रियों में यह आम धारणा बन गई चुकी है कि श्पुरूषोंश् को दूसरे की औरत और अपने बच्चें अच्छे लगते है। पति को भी चाहिए कि वह अपनी पत्नि को विश्वास में ले तथा समय-समय पर उसके साथ किसी भी मसले पर

विचार विमर्श

करे । पति को चाहिए कि वह अपनी जिन्दगी का हर अच्छा-बुरा पहलू पत्नी के सामने ईमानदारी से खोल दे। एक सुखी जीवन जीने के लिए पति-पत्नि में ज्यादा गोपनिय ठीक नहीं है। ऐसे पति जो दिलफैंक किस्म के है या दुसरी औरतों के आकर्षण में फंस गए है उनके साथ पत्नि को मनोवैज्ञानिक ढंग से पेश आना चाहिए न कि पहले ही आक्रामक रूख अपना लेना चाहिए। वह इस बात पर मनन करे कि क्या कारण है कि उसका पति पराई स्त्री के चक्कर में फंस गया है। संयम से पति को समझाएं न कि लड़-झगड़कर, ऐसे में बात बिगड़ सकती है।
प्यार में बहुत ताकत है। यदि आपका प्यार वास्तव में एक सच्चा प्यार है तो आपके पति को आपसे कोई नहीं छीन सकता ।

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