July 27, 2024

मगर बस्तर को कुछ नहीं मिला : बजट 2023

देश का बजट आया 2023 में और जैसी की उम्मीद थी बस्तर को कुछ मिलेगा । रावघाट रेललाईन विस्तार में कुछ बात आगे बढ़ेगी। हमारे राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के प्रयासों पर कुछ विचार किया जाएगा और रावघाट रेल लाईन पर काम होगा। मगर , केन्द्र सरकार ने बस्तर को एक सिरे से नकार दिया और वो भी उसवक्त जब हम विधानसभा के नजदीक हैं ।
बस्तर में रावघाट रेल लाईन को विस्तार दिए जाने की बात को लेकर एक बढ़े पैमाने पर पदयात्रा हुई थी। ये पदयात्रा सामाजिक संगठनों ने की थी । दूसरी तरफ जगदलपुर से राज्य की राजधानी रायपुर को जोड़ने वाली जगदलपुर एक्सप्रेस जो कई सालों से बंद है -इस ट्रेन को भी शुरू करने के लिए स्थानीय लोग के साथ-साथ भाजपा नेता भी दिल्ली का चक्कर लगा रहे हैं ।
ऐसे में 2023 के बजट से ये उम्मीद की जा रही थी कि रेललाईन विस्तार को लेकर सरकार भी गंभीरता दिखाएगी। मगर बस्तर को कुछ नहीं मिला।

बजट पर 500 करोड़ परित होने पर भ्रम

कुछ आलोचक बस्तर ये मानते है कि बस्तर को रेल लाईन विस्तार के लिए 500 करोड़ का बजट आबंटित किया जा चुका है। इसमें यह जनप्रतिनिधियों जनता को स्पष्ट करने में नाकाम रहे कि जो बजट आया है वह जगदलपुर -दिल्ली राजहरा रेल लाईन का निर्माण के लिए आया है। और दिल्ली राजहारा से रावघाट का रेल निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर जारी भी है ।

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जाहिर है 500 करोड़ का जो बजट परित हुआ है वह दिल्ली राजहरा रेल लाईन के नाम पर है न कि रावघाट से जगदलपुर रेल लाईन के लिए है। यही बात जनप्रतिनिधि जनता को स्पष्ट करने में नाकाम रहें है। और जनता इस भ्रम में है कि रावघाट के लिए यह बजट है। साथ ही जनप्रतिनिधि और रेल आंदोलन से जुड़े लोगों को चाहिए कि रावघाट से जगदलपुर के लाईन पर इस बजट में क्या प्रावधान है यह स्पष्ट करें ।

एक बार कुल मिलाकर खाया जा सकता है कि बजट से फिर बस्तर को कुछ नहीं मिला इस बजट में बस्तर में रेल के मुद्दे पर लंबे समय से राजनीति होती रही है । दोनों दलों के लोगों ने अपने-अपने स्तर पर हल्ला मचाया है। हाल ही में एक बड़ी लंबी पदयात्रा भी हुई थी ऐसे में भी इसके बावजूद भी कुछ नहीं होना बड़े दुख की बात होती है ।
इससे आगामी चुनाव में सीधा सा असर भाजपा पर पड़ेगा। क्योंकि केन्द्र में इस वक्त भाजपा की सरकार है। बस्तर से कांग्रेस के सांसद दीपक बैज ने पूरी दमदम से संसद में अपनी बात रखी थी लेकिन बीजेपी की तरफ से कांकेर के संसद ये जवाबदारी निभाने में चूक गए। देखना ये है की कहीं इसका असर आगामी विधानसभा चुनाव न पड़े ।

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