December 2, 2024

6 एनीकट ध्वस्त हो चुके .1945.90 लाख व्यर्थ चले गए

1945.90 लाख व्यर्थ चले गए

बस्तर /( रवि दुबे) बस्तर विकास के नाम पर सरकार ने पैसों की कभी कमी नहीं आने दी और खास तौर पर कृषि विकास के लिए जल संसाधन विभाग में भी समयानुसार क्रमशः योजनाओं का आना अनवरत जारी रहा। इन्हीं योजनाओं में से एक थी, एनीकट निर्माण जिसमें बस्तर में अरबों रुपया फूंका गया, पर लाभ ना के बराबर मिला जिसका मूल कारण है, अभियंताओं की लापरवाही जिससे आज पूरे बस्तर में एनीकट या तो ध्वस्त हो चुके हैं या कुछ की मिट्टी पलीद हो चुकी है, तथा कुछ के अवशेष भी नहीं बचा। सवाल यह है कि आखिर कब तक बस्तर विकास की तस्वीर सरकारी दस्तावेजों और आंकड़ों तक ही सीमित रहेगी।
ऐसे ही कुछ एनीकट महानदी परियोजना रायपुर के अंतर्गत बस्तर राजस्व संभाग में भी निर्माण किए गए थे, जो आज पूरी तरह ध्वस्त पड़े हैं। जिसमें राज्य शासन एवं जनता  का एक हजार नो सौ पैतालीस लाख नब्बे हजार व्यर्थ चला गया और बस्तर की भोली-भाली आदिवासी जनता के साथ खुलेआम छल किया गया और इस छल में प्रमुखता से जिस अधिकारी का नाम आता है वह है वर्तमान में एनकेन प्रकार से प्रभारी मुख्य अभियंता बना जल संसाधन विभाग का आर के नगरिया है।
उक्त एनीकट योजनाओं के निर्माण के दौरान नगरिया ही अनुसंधान अधिकारी महानदी परियोजना रायपुर के पद पर इन कार्यों की गुणवत्ता पर रखने हेतु शासन द्वारा पदस्थ किए गए थे।कार्य नियमावली 1983 के कंडिका क्रमांक 6.2019 के अनुसार प्रत्येक निर्माण कार्य की गुणवत्ता की पूर्ण जिम्मेदारी अनुसंधान अधिकारी की ही होती है जिसे उनके द्वारा जिम्मेदारी पूर्वक निर्वहन नहीं किया गया, बल्कि केवल कार्य स्थलों पर कार्यरत अभियंताओं को डर भय दिखाकर पूर्णतया स्वार्थ लिप्सा में लिपटे रहे जिससे आगे एनीकट ध्वस्त पड़े हैं, और शासन को इस करोड़ो का लेखा जोखा महालेखाकार को भी जाना चाहिए था पर किसी अधिकारी ने सुचित नहीं किया।
इसी तरह बस्तर विकासखंड के अंतर्गत नारंगी नदी पर आमा गुड़ा एनीकट का निर्माण किया गया था जो 2 बार टूटा और जिसमें लगभग एक करोड़ की क्षति हुई इसकी गुणवत्ता के परीक्षण की जिम्मेदारी भी आर के नगरिया की थी जिसकी बगैर गुणवत्ता जांच ओ. के. रिपोर्ट देकर भुगतान भी करवा दिया था इस एनीकट की लागत 185 लाख थी अब यह दो बार टूटा तो देखने वालों ने कहा ऐसा लगता है कि यह एनीकट मिट्टी का तो नहीं बनाया गया ।
नगरिया के खिलाफ कई आरोप पत्र जारी हुए साथ ही उड़नदस्ता अधिकारी ने भी नगरिया को निलंबित करने की अनुशंसा कि यहां तक कि इस आमा गुड़ा एनीकट को बनाने वाले एस. डी .ओ. ए. पी. कुर्रे को हाल ही में नगरिया ने प्रभारी कार्यपालन अभियंता जिला बीजापुर बनाया दिया था ।जबकि वर्तमान में जगदलपुर में पदस्थ कार्यपालन अभियंता एवं प्रभारी अधीक्षण अभियंता  के .एस  भंडारी ने एस डी ओ कुर्रे के खिलाफ विभाग को एक पत्र भी प्रेषित किया है,  खैर जो भी हो पर नगरिया के खिलाफ जांच प्रतिवेदन प्रमुख अभियंता कार्यालय में धूल खा रहे हैं और मुख्य अभियंता मौज उड़ा रहा है।

बस्तर में ध्वस्त एनीकट इस प्रकार हैं-

1) अलनार एनीकट वि..ख.– गीदम लागत 338.01 लाख ।
2) मुंडापारा एनीकट  -वि..ख बडे राजपुर लागत 322.88 लाख।
3) कंबोगा एनीकट वि..ख– फरसगांव लागत 463.53 लाख।
4) मैनपुर एनीकट वि..ख– बडे राजपुर लागत 277.48 लाख।
5) कदमघाट एनीकट वि. खं.- कोंडा गांव लागत 220.36 लाख।
6) लिमघाट एनीकट वि. खं.– कोंडा गांव लागत 323.64 लाख
                                                                                                                        ( रवि दुबे)

 

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