तीन दिवसीय चित्रकोट समारोह का समापन हुआ । आम जनता में इस समारोह को लेकर काफी उत्साह देखा गया था। प्रशासन ने भी अपने स्तर पर इस समारोह को लेकर काफी तैयारियां की थी । यह समारोह धूम-धाम से सम्पन्न हुआ । लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया और काफी हर्षोल्लास के वातावरण में यह समारोह सम्पन्न हुआ ।
न्यूज पेपर्स की सुर्खियों में कुछ ऐसी लाईन्स आपको देखने को मिली होगी।
इधर सक्षम सा़क्षी को अलग-अलग Social Media से जो जानकारियां मिली उसको देखकर तो चित्रकोट महोत्सव की दूसरी कहानी ही देखने को मिलती है। फेसबुक पर अपलोड की गई तस्वीरों से महोत्सव का कड़वा सच सामने आ गया जो अखबारों में लिखे सच से अलग ही था। जो ये कहता हैं कि महोत्सव का प्रबंधन पूरी तरह अफरा -तफरी से भरा था जिसमें बच्चों ठंड में घंटो बिठाया गया और दूसरे कुछ लोग सोशल मिडिया में प्रबंधन को लेकर गंभीर आरोप लगा रहें हैं ।
महोत्सव की ये कहानी नयी नहीं है हर बार महोत्सव में इस तरह की बातें देखने सुनने में आती रहती हैं । सोशल मिडिया पर दिए कमेंट्स पर गौर करें तो शायद हकीकत सामने आए।
बस्तर की पारंपरिक कला और संस्कृति को सहेजने के लिए आयोजित किए जाने वाले इस चित्रकोट महोत्सव में डीजे और आधुनिक फ़ैशन साफ झलकती है। इसके अलावा खानापूर्ति के लिए किए जा रहे विभिन्न कार्यक्रम का कड़वा सच सामने आता है।
इंटरनेट के आज के इस युग में कुछ भी छिपा पाना असंभव है क्योंकि ये पब्लिक है सब जानती है-
सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक तीन दिवसीय चित्रकोट महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया । तो सोषल मिडिया में आई आलोचनाओं की बाढ़ से कुछ निचोड़ निकालते है। तो ऐसा रिपोर्ट बनता है-
-भारत में सुरम्य चित्रकोट जलप्रपात में आयोजित वार्षिक चित्रकोट उत्सव, खराब प्रदर्शन और अपर्याप्त व्यवस्था के कारण खराब हो गया था। जबकि सरकार ने दावा किया कि आयोजन सफल था, बैठने की अपर्याप्त व्यवस्था के कारण बच्चों को कथित तौर पर ठंडी रात में खड़ा छोड़ दिया गया और सूखे झरने को निहारने की उम्मीदें भी टूटी। इसके अलावा, आगंतुक सांस्कृतिक प्रदर्शन की कमी से निराश थे, क्योंकि पूरे उत्सव में केवल डीजे संगीत बजाया जाता था।
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